कौन बनेगा शिवराज का उत्तराधिकारी? विजयपुर में भाजपा के सामने अपनों की चुनौती
मध्य प्रदेश की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों में जीत के बाद भाजपा उत्साहित है। अब पार्टी ने बुधनी और विजयपुर सीटों पर उपचुनावों की तैयारी कर दी है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की विरासत को बुधनी में कौन आगे बढ़ाएगा?
मेरवा ने की टिकट की दावेदारी
विजयपुर सीट से पूर्व विधायक रामनिवास रावत को भाजपा से टिकट मिलना लगभग तय है। इसके बाद भी 2023 में भाजपा प्रत्याशी रहे बाबूलाल मेवरा ने टिकट की दावेदारी पेश की है। मेवरा के साथ ही पूर्व विधायक सीताराम भी रावत के भाजपा में शामिल होने से नाराज बताए जा रहे हैं। इसे देखते हुए छह बार के विधायक रावत के लिए विजयपुर विधानसभा उपचुनाव आसान नहीं होगा। पार्टी ने विजयपुर उपचुनाव के लिए एंदल सिंह कसाना को प्रभारी और पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह बिरथरे को सह-प्रभारी बनाया है। दोनों के लिए ही विजयपुर भाजपा के नाराज और असंतुष्ठ नेताओं को मनाना चुनौती भरा होगा। सत्ता और संगठन ने भी नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है।
बुधनी में भाजपा की राह आसान
सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट पर भाजपा की राह आसान रहने की उम्मीद है। भाजपा ने मंत्री करण सिंह वर्मा को प्रभारी और रामपाल सिंह सह-प्रभारी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा से सांसद बनने के बुधनी विधानसभा सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय, पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव, पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह को दावेदार माना जा रहा है।
कांग्रेस के लिए राह दिख रही मुश्किल
कांग्रेस ने 1998 के बाद से बुधनी सीट नहीं जीती है। इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। कांग्रेस ने जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया है। विजयपुर का प्रभारी लाखन सिंह को बनाया है। दोनों सीटों पर कांग्रेस से कई प्रत्याशी दावेदार हैं। इसके बाद भी कोई मजबूत नाम अब तक सामने नहीं आया है। बुधनी में शिवराज सिंह चौहान के सामने विक्रम मस्ताल ने चुनाव लड़ा था और एक लाख से अधिक वोटों से हारे थे।
बीना सीट पर असमंजस कायम
लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा से कमलेश शाह, विजयपुर से रामनिवास रावत और बीना से निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। अमरवाड़ा में कमलेश शाह भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीत चुके हैं। रावत को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अभी तक निर्मला सप्रे ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है। इस वजह से बीना में उपचुनाव को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।